World Wildlife Day in Hindi | विश्व वन्यजीव दिवस क्यों मनाया जाता है? इतिहास क्या है?

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World Wildlife Day in Hindi (विश्व वन्यजीव दिवस 2023)जैव विविधता की समृद्धि पृथ्वी को रहने के लिए उपयुक्त बनाती है, लेकिन लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारन पर्यावरण पर इतना खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है कि जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की कई प्रजातियां धीरे-धीरे गायब हो रही हैं।

वर्तमान में भारत में 900 से अधिक दुर्लभ प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है। इतना ही नहीं विश्व धरोहर गंवाने वाले देशों की सूची में भारत, चीन के बाद दुनिया में सातवें स्थान पर है।

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World Wildlife Day Kab Manaya Jata Hai?
Date विश्व में प्रत्येक वर्ष 03 मार्च को 'विश्व वन्यजीव दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
पहली बार 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।
विवरण वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।
World Wildlife Day

Official website of UN World Wildlife Day:- https://www.wildlifeday.org/

विश्व वन्यजीव दिवस कब मनाया जाता है?

लगातार बढ़ता प्रदूषण वातावरण को इस तरह खराब कर रहा है कि वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियां धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। ऐसे में इको सिस्टम को संतुलित करने और लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।

विश्व वन्यजीव दिवस क्यों मनाया जाता है?

3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में नामित करने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के वन्यजीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

जिसे थाईलैंड द्वारा दुनिया के जंगली जीवों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जश्न मनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। इसका उद्देश्य विभिन्न जीवों और वनस्पति प्रजातियों के अस्तित्व की रक्षा करना है।

विश्व वन्यजीव दिवस पहली बार कब मनाया गया?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को अपने 68वें सत्र में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 03 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाने की घोषणा की थी। 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।

विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास क्या है?

जानवरों और पौधों की ऐसी दुर्दशा को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को 68वें सत्र में 03 मार्च को 'विश्व वन्यजीव दिवस' के रूप में अपनाने की घोषणा की।

लुप्तप्राय वन्यजीवों और पौधों के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 3 मार्च को अपनाया गया था। वन्य जीवों के विलुप्त होने को रोकने के लिए वर्ष 1872 में पहली बार वन्य हाथी संरक्षण अधिनियम (जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम) पारित किया गया था।

विश्व वन्यजीव दिवस 2021 का विषय क्या है?

2021 की थीम "Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet” है
2020 की थीम "Sustaining all life on Earth" था।
2019 की थीम "पानी के नीचे जीवन: लोगों और ग्रह के लिए" था।
2018 की थीम "बड़ी बिल्लियां - शिकारियों के खतरे में" था।
2017 की थीम "Listen to The Young Voices" था।
2016 का थीम "वन्यजीवों का भविष्य हमारे हाथ में", एक उप-थीम "हाथियों का भविष्य हमारे हाथों में" था।
2015 की थीम "वन्यजीव अपराध के बारे में अब गंभीर होने का समय" था।

भारतीय वन्यजीव संस्थान:

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की स्थापना 1982 में हुई थी। यह संस्थान केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक स्वशासी संस्थान है जिसे वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान के रूप में मान्यता दी गई है।

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो:

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिए केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक बहु-अनुशासनात्मक निकाय है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और जबलपुर में स्थित हैं।

भारत में वनों और वन्य जीवों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भारत के संविधान में 42वें संशोधन (1976) अधिनियम द्वारा दो नए अनुच्छेद 48 और 51 को वन्य जीवन से संबंधित विषयों की समवर्ती सूची में शामिल किया गया था।

आपको बता दें कि जानवरों और पौधों की दस लाख से अधिक प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। निगरानी संस्था आईपीबीईएस के मुताबिक इंसानों के इतिहास में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं हुई।

वन्यजीवों के विलुप्त होने को रोकने के लिए पहली बार 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम पारित किया गया था।

अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, प्रजातियों की संख्या आज 1,000 गुना तेजी से घट रही है, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल जो कुछ बचा है उसे बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

वर्ष 1927 में भारतीय वन अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसके प्रावधानों के अनुसार जंगली जानवरों का शिकार और जंगलों की अवैध कटाई को दंडनीय अपराध घोषित किया गया था।

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक ताजे पानी में रहने वाले जानवरों की नस्लों में तेज गिरावट आई है। 1974 से 2018 के बीच इसमें करीब 84 फीसदी की गिरावट आई है।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में पारित किया गया था। यह एक व्यापक केंद्रीय कानून है, जिसमें विलुप्त जंगली जानवरों और अन्य लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण का प्रावधान है।

वन्यजीवों की गंभीर स्थिति में सुधार और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए 1983 में राष्ट्रीय वन्यजीव योजना शुरू की गई थी।

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