Karma Dharma Puja Vrat Kab Hai, Pooj Vrat Vidhi, कर्मा धर्मा पूजा कहानी

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Karma Dharma Puja Vrat kab hain In Hindi, Pooj Vrat Vidhi, हम आपको इस पोस्ट में कर्मा धर्मा के बारे में बताने जा रहे हैं। इस पोस्ट में कर्मा धर्मा की तिथि, बिधि, क्यों मनाई जाती है और किन राज्यों में यह त्योहार प्रसिद्ध है, हम आपको इन सभी के बारे में बताएंगे, कब है 2022 में कर्मा धर्मा व्रत, त्योहार का महत्व, पूजा विधि, निबंध, कथा व्रत

इस पोस्ट में हम आपको कर्मा धर्मा के बारे में बताने जा रहे हैं, यह त्योहार बहन द्वारा मनाया जाता है जिसका भाई है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि जिस बहन का कोई भाई नहीं है वह बहन भी अपने चचेरे भाई के लिए यह त्योहार करती हैं। कर्म धर्म व्रत को कर्म पूजा के रूप में भी जाना जाता है।

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कर्मा धर्मा व्रत कब हैं Karma Dharma Vrat Date

कर्मा धर्मा व्रत भाई-बहन के प्रेम का पर्व माना जाता है, यह पर्व हर साल अगस्त के आखिरी या सितंबर के मध्य में मनाया जाता है, इस साल 2022 में कर्म धर्म 06 सितंबर को है।

Karma Puja 6 सितंबर को है। इस पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि बहनें अपने भाइयों के सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। झारखंड और बिहार के लोगों की यह परंपरा रही है कि धान की रोपाई के बाद यह पर्व मनाया जाता है. यह त्यौहार बंगाल, असम, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी पूरे जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।

Karma Dharma व्रत क्यों मनाया जाता है?

Karma Dharma व्रत महिलाओं और बहनों द्वारा अपने-अपने भाइयों के लिए मनाया जाता है, पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार महिलाओं और बहनों द्वारा अपने भाई की खुशी और कल्याण, प्यार और स्नेह के लिए मनाया जाता है।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाने वाला Karma Festival भाई-बहन के प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है। इसके साथ ही कृषि और प्रकृति से अच्छी फसल के लिए प्रकृति की पूजा की जाती है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के सुख-समृद्धि कामना करती हैं।

जानें पूजा विधि

हम बताने जा रहे हैं Karma Puja Vrat की विधि के बारे में, कर्मा धर्मा का व्रत रखने के लिए व्रत के पहले दिन प्रात: काल के समय महिलाओं और लड़कियों को बालों को धोकर अच्छे से स्नान कर लेना चाहिए।

उसके बाद व्रत के दिन सुबह 3 या 4 बजे खाना बनाकर खा लेना चाहिए, शाकाहारी खाना होना चाहिए। 4 बजे के बाद पानी की एक बूंद भी नहीं पीना है। इसके बाद व्रत के दिन शाम के समय महिलाएं जिस स्थान पर पूजा करना चाहती हैं।

जिस घर के आंगन में साफ-सफाई की गई हो, वहां विधिवत तरीके से करम डाली को गाड़ा जाता है। उसके बाद गाय के गोबर से लिप कर उस स्थान को शुद्ध किया जाता है। बहनें एक सजी हुई टोकरी या थाली लेती हैं और करम के राजा की पूजा करने के लिए आंगन में बैठ जाती हैं।

उसके बाद सेब, केला, अमरूद, खीरा काटकर उसमें चिराड़ा मिलाकर किसी थाली या छोटी टोकरी में रख दें, आंगन में कर्म वृक्ष की एक शाखा खोदकर जमीन में पौधे की तरह लगा दें। और डाल के सारे फलों में से 1-1 लेकर उसी कर्म वृक्ष की डाली में डाल दें। इस फल को जितनी भाई होते हैं उतनी बार डाली में रखा जाता है।

करम राजा से प्रार्थना करती है कि हे करम के राजा! मैं अपने भाई के सुख-समृद्धि की कामना करती हूं। उसे कभी भी गलत रास्ते पर न जाने दें। यहां बहन शुद्ध विचार और त्याग की भावना जगाती है। यहां भाई-बहन का असीम प्यार नजर आता है।

पूजा के बाद कर्मा धर्मा की कथा सुनाई जाती है।

पूजा समाप्त होने के बाद करम कथा सुनाई जाती है। कहानी में कर्म और कर्मा धर्मा की कहानी बताई गई है। कहानी का मुख्य उद्देश्य अच्छे कर्म करना है।

कहानी खत्म होने के बाद सभी लड़कियां करम डाली को गले लगाती हैं। उसके बाद रात भर डांस सॉन्ग चलता रहता है।

व्रत की अगली सुबह यानी पारन के दिन सुबह स्नान करके दाल, चावल और 11 रुपये को छूकर पंडित जी को या मंदिर में दे दें, उसके बाद आप भोजन कर सकते हैं.

कर्मा धर्मा व्रत सामग्री

कर्म धर्म व्रत में कई प्रकार की क्षेत्रीय सामग्री की आवश्यकता होती है, मुख्य रूप से दही चूड़ा और आप अपने क्षेत्रीय फल के अनुसार फल ले सकते हैं, फल में केला, खीरा, अमरूद, नाशपाती और मौसमी फल भी ले सकते हैं और महिलाएं इसमें नए कपड़े पहनती हैं।

कर्मा धर्मा पूजा कहानी

ऐसा कहा जाता है कि कर्मा धर्मा दो भाई थे, दोनों बहुत मेहनती और दयालु थे, कुछ दिनों के बाद कर्मा की शादी हो गई, उनकी पत्नी अधर्मी थी और दूसरों को परेशान करने वाली थी। जमीं पर माङ फेक देती थी।

जिससे कर्मा बहुत नाखुश थे और इससे नाराज होकर उन्होंने घर छोड़ दिया। उनके जाते ही सबके कर्म भाग्य चले गए और वहां के लोग दुखी रहने लगे। धर्मा ने लोगों की परेशानी नहीं देखी गई और वह अपने भाई को खोजने निकल पड़ा।

कुछ दूर चलने के बाद उसे प्यास लगी, कहीं पानी नहीं था, दूर एक नदी दिखाई दी, वहाँ जाने पर उसने देखा कि उसमें पानी नहीं है। धर्मा ने सोचा की जब से कर्म भाई यहां से चले गए हैं, हमारे कर्म फुट गए हैं, यहां का पानी सूख गया है।

कुछ दूर जाने पर एक आम का पेड़ मिला, उसके सारे फल सड़े हुए थे, उसने धर्म को यह भी बताया कि जब से कर्म चला गया है, हमारे फल ऐसे ही बर्बाद हो जाते हैं, मिलते हैं तो उन्हें बताओ और उपाय पूछो।

वहां से धर्म आगे बढ़ा, आगे उसे एक बूढ़ा मिला, उसने बताया कि जब से कर्म यहां से चला गया है, तब तक उसके सिर का बोझ तब तक नहीं उतरता जब तक कि 3-4 लोग एक साथ नहीं आ जाते, इसलिए कर्म को यह बताओ और उपाय बताओ।

धर्म वहां से भी आगे चला गया, उसे एक स्त्री मिली, स्त्री ने बताया कि जबसे कर्म चला गया है, खाना पकाने के बाद बर्तन हाथ से चिपक जाते हैं, तो इसके लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।

धर्म आगे बढ़ गया, चलते-चलते वह एक रेगिस्तान में पहुँच गया जहाँ उसने देखा कि कर्मा सूरज की गर्मी से परेशान है, उसके शरीर पर फोड़े निकल रहे हैं और वह बेचैन हो रहा है।

धर्मा से उसकी हालत नहीं देखी गई और उसने कर्मा से घर वापस जाने का अनुरोध किया, तब कर्म ने कहा कि मैं उस घर में कैसे जाऊं जहां मेरी पत्नी ने जमीं पर माङ फेंक देती है, तब धर्म ने वादा किया कि आज के बाद कोई भी महिला जमीं पर माङ नहीं फेंकेगी।

फिर दोनों भाई वापस घर की ओर चले गए, घर वापस होते समय वह महिला से मिले, कर्मा ने उससे कहा कि तुमने किसी भूखे को खाना नहीं खिलाया, इसलिए तुम्हारे साथ ऐसा हुआ, फिर कभी ऐसा मत करो, सब ठीक हो जाएगा।

अंत में जब नदी मिली तो कर्म ने कहा कि तुमने किसी प्यासे को साफ पानी नहीं दिया, भविष्य में कभी किसी को गंदा पानी नहीं देना।

इस तरह वह सभी को अपना कर्म बताते हुए घर आया और पोखर में कर्म डालकर पूजा की, उसके बाद पूरे क्षेत्र में फिर से खुशी आ गई और सभी लोग खुशी-खुशी रहने लगे। कहा जाता है कि इसी को याद कर कर्मा पर्व मनाया जाता है।

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