World Theatre Day कब मनाया जाता है | Vishv Rangamanch Divas | अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस क्यों मनाया जाता है?

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World Theatre Day in Hindi 2023: एक समय था जब सिनेमा की शुरुआत भी नहीं हुई थी, तब भी लोगों का मनोरंजन होता था, लेकिन तब माध्यम थियेटर था। आज जब हिंदी सिनेमा अपने चरम पर है, तो हर हफ्ते दर्जनों फिल्में रिलीज होती हैं, लेकिन अभी भी एक ऐसा वर्ग है जिसे थिएटर से प्यार है। Vishv Rangamanch Divas #WorldTheatreDay2023

जिसके लिए रंगमंच का सम्मान किया जाता है क्योंकि उनका मानना है कि रंगमंच न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह लोगों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से जगाने का भी एक साधन है।

नाटक कलाकार और दर्शक दोनों के मन पर अपनी छाप छोड़ता है। नाटक की इस शैली को जीवित रखने और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है।

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World Theater Day Kab Manaya Jata Hai?
Date हर साल 27 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है।
पहली बार विश्व रंगमंच दिवस, जो 1962 से हर 27 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है।
विवरण लोगों में रंगमंच के प्रति जागरूकता पैदा करना और महत्व को समझाना है। रंगमंच न केवल लोगों का मनोरंजन करता है बल्कि उन्हें सामाजिक मुद्दों से भी अवगत कराता है।
World Theater Day Official Website Of (ITI) International Theater Institute - www.iti-worldwide.org
Officail Website Of (WTD) World Theatre Day - www.world-theatre-day.org

थिएटर किसे कहते हैं?

जब भी हम रंगमंच की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में नाटक, संगीत, तमाशा आदि घूमने लगते हैं। दरअसल रंगमंच 'रंग' और 'मंच' शब्दों से मिलकर बना है, यानी अपनी कला, सजावट, संगीत आदि को किसी मंच से दृश्य के रूप में प्रस्तुत करना।

'थिएटर' शब्द रंगमंच का अंग्रेजी संस्करण है, और जहां नाटक, संगीत, तमाशा किया जाता है, उसे ऑडिटोरियम, थिएटर, रंगमंच या ओपेरा कहा जाता है।

विश्व रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व रंगमंच दिवस मनोरंजन की दृष्टि से अपना एक विशेष स्थान रखता है। विश्व रंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को आयोजित किया जाता है। थिएटर को पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए इस दिन की नींव साल 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट ने रखी थी।

अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस क्यों मनाया जाता है?

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में रंगमंच के प्रति जागरूकता पैदा करना और उन्हें रंगमंच के महत्व को समझाना है। रंगमंच न केवल लोगों का मनोरंजन करता है बल्कि उन्हें सामाजिक मुद्दों से भी अवगत कराता है।

वर्तमान में, भारत में रंगमंच प्रेमी देश के कई शहरों में हर साल मंचन करते हैं। वहीं समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए कई शहरों में नाटक का मंचन किया जाता है। आज भी, कई कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र सामाजिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक करते रहते हैं।

सिनेमा जगत के मनोरंजन क्षेत्र के आधिपत्य से पहले लोगों के लिए रंगमंच ही मनोरंजन का एकमात्र साधन था। वहीं, थिएटर के साथ-साथ सिनेमा के बारे में लोगों में जागरूकता और रुचि पैदा करने के लिए हर साल विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है।

इस दिन दुनिया के कई देशों में थिएटर के कलाकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई समारोह आयोजित करते हैं। रंगमंच से जुड़े कई संगठन और समूह भी इस दिन को विशेष दिन के रूप में आयोजित करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस का इतिहास क्या है?

आईटीआई की स्थापना UNESCO Director General, Sir Julian Huxley और नाटककार और उपन्यासकार जेबी प्रीस्टली (JB Priestly) की पहल पर 1948 में द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद और शीत युद्ध की शुरुआत में हुआ था।

विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत 1962 में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI International Theater Institute) द्वारा की गई थी। यह 27 मार्च को आईटीआई केंद्रों और अंतरराष्ट्रीय रंगमंच समुदाय द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण विश्व रंगमंच दिवस अंतर्राष्ट्रीय संदेश का प्रसार है जिसके माध्यम से आईटीआई के निमंत्रण पर, विश्व स्तर का एक व्यक्ति रंगमंच और शांति की संस्कृति के विषय पर अपने विचार साझा करता है।

पहला विश्व रंगमंच दिवस अंतर्राष्ट्रीय संदेश जीन कोक्ट्यू द्वारा लिखा गया था। संदेश का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जाता है और व्यापक रूप से वितरित किया जाता है।

भारत में रंगमंच का इतिहास

भारत में रंगमंच का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि नाट्य कला का विकास सबसे पहले भारत में हुआ। ऋग्वेद के कुछ सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद हैं।

इन संवादों में नाटक के विकास की छाप लोगों को मिलती है। कहा जाता है कि इन्हीं संवादों से प्रेरणा लेकर लोगों ने नाटक की रचना की और नाटक की कला का विकास हुआ। उसी समय भरतमुनि ने इसे शास्त्रीय रूप दिया।

कहा जाता है कि अंबिकापुर जिले के रामगढ़ पर्वत पर महाकवि कालिदास जी द्वारा निर्मित नाट्यशाला भारत का प्रथम रंगमंच है। बता दें कि रामगढ़ सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र में है, यह अंबिकापुर-रायपुर राजमार्ग पर स्थित है।

हिंदी रंगमंच दिवस

जून 1967 में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास में पहली बार इस नाटक के मंचन को प्रमाणिक तौर पर पुस्टि किया। रंगमंच पर पहला हिंदी नाटक शीतला प्रसाद त्रिपाठी का 'जानकी मंगल' था।

3 अप्रैल 1868 को बनारस के रॉयल थिएटर में इसका मंचन किया गया था। उस नाटक के मंचन की जानकारी इंग्लैंड के एलिन इंडियन मेल के 8 मई 1868 के अंक में भी प्रकाशित हुई थी।

इसी आधार पर पहली बार शरद नागर ने 3 अप्रैल को हिंदी रंगमंच दिवस की घोषणा की थी। उनकी याद में कलाकारों द्वारा नाट्य क्षणों का प्रदर्शन किया जाएगा। संगीत व नृत्य के कार्यक्रम भी होंगे।

आधुनिक समय का रंगमंच

आधुनिक थिएटर का सबसे बढ़िया उदहारण- (The Kapil Sharma Show) कपिल शर्मा का रंगमंच एक भारतीय हिंदी कॉमेडी कार्यक्रम है, जो सोनी पर 23 अप्रैल 2016 से प्रसारित होता है। इसके निर्माता और मुख्य प्रस्तोता कपिल शर्मा हैं।

ऐसा लोगो का कहना था की कपिल शर्मा शो में जाने के लिए देखने के लिए टिकट बुकिंग किया जाता है। लेकिन खुद कपिल शर्मा अपने ट्विटर से इसका जवाब देते हुए कपिल शर्मा ने कहा कि हम अपने दर्शकों से कोई पैसा नहीं लेते हैं, शो में आना बिल्कुल फ्री है. इसके लिए कोई टिकट बुकिंग नहीं है।

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की रंगमंच से कितना लगाव है। आज भी लोग नाटक/संगीत समारोह का आयोजन करते है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। और देखने के लिए कोई पैसा नहीं लगता है। शादियों में भी नाटक, संगीत क्रायक्रम रखा जाता है।

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