रेलवे एक परिचय विकास में रेलवे की भूमिका Railways Introduction- Introduction of Railway in Development

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देश के निरंतर विकास में सुचारु और संबंधित परिवहन प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है| वर्तमान में यातायात के अनेक साधन जैसे रेल, सड़क , नौसंचालन, वायु परिवहन इत्यादि शामिल हैं| पिछले कुछ दशकों में इन साधनों में रेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास के साथ-साथ इसका विस्तार भी हुआ है और क्षमता में वृद्धि हुई है| रेल और नागर विमानन को छोड़कर परिवहन के विभिन्न साधनों के विकास के लिए नीतिगत कार्यक्रम बनाने और उन्हें लागू करने का दायित्व सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय निभाता है|

भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा तथा एकल प्रबंध के अधीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है| यह 165 वर्षों से भी अधिक समय से भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संगठक रहा है| यह (विश्व का तीसरा) बड़ा नियोक्ता है, इसके 1400000 से भी अधिक कर्मचारी हैं| इसमें न केवल देश की मूलभूत संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संवर्धन करने में भी महत्वपूर्ण योगदान किया है| राष्ट्रीय संकट की स्थिति में आपदा ग्रस्त क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाने में भी भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है|

अर्थव्यवस्था में अंतर्देशीय परिवहन का खेल मुख्य माध्यम है यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड़ जनशक्ति बड़ी मात्रा में वस्तुओं का लाने ले जाने तथा लंबी यात्रा की दूरी के लिए अत्यंत उपयुक्त है| यह देश की जीवन धारा है और इसके सामाजिक आर्थिक विकास के लिए इसका महत्वपूर्ण स्थान है| स्थापित कर प्रणाली देश के दूरस्थ स्थानों से लोगों को एक साथ मिल आती है और व्यापार पर्यटन तीर्थ और शिक्षा को संभव बनाती है| यह जीवन अच्छा सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि के त्वरित विकास करने में सहायता करती है|
Railways Introduction Introduction of Railways in Development Railway Introduction- Introduction of Railway in Development
वर्ष 1848 में कोलकाता में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे कंपनी की स्थापना की गई तथा इसी वर्ष हावड़ा से रानीगंज तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ|
सन 1850 में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला ने मुंबई से थाने तक रेल लाइन बिछाने का कार्य प्रारंभ किया|
18 फरवरी 1852 को भायखला के पास ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे ने बड़ी लाइन की भाप की इंजन लॉर्ड फ़ॉकलैंड को पहली बार शंटिंग के लिए चलाया|
एशिया एवं भारत में प्रथम रेल यात्रा 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) प्रारंभ हुई| रेलगाड़ी को ब्रिटेन से मंगवाए 3 भाप इंजन सुल्तान हिंदी तथा साहिब खींच रहे थे| 20 डिब्बे में 400 यात्रियों को लेकर यह है गाड़ी रवाना हुई| रेलगाड़ी ने 34 किलोमीटर का सफर 16 घंटे में तय किया| यह शाम 4:45 बजे थाने पहुंची|
18 अप्रैल 1853 को पहली उपनगरीय रेल चलाई गई जो बड़ी लाइन की 1676 मीटर की रेलगाड़ी थी| इसी दिन रेल की समय सारणी भी तैयार की गई|
हावड़ा से रानीगंज के मध्य प्रथम रेलगाड़ी 1 फरवरी 1855 को चली जिसमें फेयरी क्वीन नामक भाप का इंजन जोड़ा गया था|
सन 1855 में सूरत में मुंबई, वडोदरा तथा सेंट्रल इंडिया रेलवे CIR की स्थापना की गई| गुजरात में अंकलेश्वर से उत्तरण तक 32 मील लंबे रेल मार्ग का निर्माण प्रारंभ| उत्तर रेलवे का प्रथम रेल मार्ग इलाहाबाद से कानपुर के बीच में 3 मार्च 18 57 को खोला गया|
सन 1818 में दो अन्य रेल लाइन जोन स्टंट बंगाल रेलवे तथा ग्रेट साउथ रेलवे की स्थापना की गई|
15 मई 1864 को कसार (तलचर) तक की रेल लाइन खुलने के साथ ही नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे प्रारंभ हुआ|
सन 1862 में जमालपुर बिहार में प्रथम रेल कारखाने की स्थापना हुई|
भारत में भाप इंजन 1835 ईसवी में बनने शुरू हुए| जमालपुर कर कहानी में एक्सप्रेस नामक पहला भाप इंजन बनाया गया| इसकी कलपुर्जे अलग-अलग कारखानों से मंगवाए गए थे|
1869 से 75 में रियासतों को नई क्रांति प्रणाली के तहत रेलवे लाइन बिछाने का अधिकार मिला|
सन 1872 में प्रथम श्रेणी के डिब्बों को वातानुकूलित बनाया गया|
कोलकाता ट्राम्वे कंपनी लिमिटेड ने 24 फरवरी 1873 को पहली ट्राम सियालदह से आर्मेनियम घाट स्ट्रीट तक चलाई गई| इस ट्राम सफर 3.8 किलोमीटर लंबा रहा था|
देश की प्रथम नैरोगेज रेल 8 अप्रैल 1873 को बड़ौदा इस्टेट रेलवे द्वारा चलाई गई| इस रेल ने 32 किलोमीटर का सफर डभोई से मियांगांव तक किया|
रेल में सफर करने वाले यात्रियों एवं माल की सुरक्षा के लिए 1853 ई मे सुरक्षा बल की स्थापना की गई| इस समय इसका नाम वॉच एंड वार्ड था| जिसने सन 1954 में रियल सुरक्षा बल (सिक्योरिटी फोर्स) और सन 1957 में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) किया गया|
अजमेर में सन 1887 में टेरेस कारखानों का उद्घाटन अजमेर में ही सन 1895 में एक-734 नामक पहला स्वदेशी भाप इंजन बनाया गया| इसके सभी कलपुर्जे यही बने थे|
1865 में स्थापित है जमालपुर कर खाने का पहला स्वदेशी भाप इंजन रनवे ईस्वी में बना| इस इंजन का नाम लेडी कर्ज़न रखा गया|
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