Indian Army Day Kab Manaya Jata Hai | भारतीय थल सेना दिवस कैसे क्यों मनाया जाता है?

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Indian Army Day 2023: भारतीय सेना दिवस पहली बार कब मनाया गया था, क्यों मनाया जाता है, कौन मनाता है, कैसे मनाया जाता है, इतिहास क्या है? आज के इस लेख में आप Indian Army Day के बारे में विस्तार से जानेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं लेकिन सबसे पहले इसकी कुछ मुख्य बातों के बारे में जान लेते हैं।

सेना दिवस देश और उसके नागरिकों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों को नमन करने का दिन है। इसके साथ ही यह दिन देश की सेवा में तैनात जवानों के हौसले को बढ़ाता है।

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Indian Army Day कब मनाया जाता है?
Date Indian Army Day हर साल 15 January को मनाया जाता है।
शुरुआत सबसे पहले 15 जनवरी 1949 को पहली बार मनाया गया था।
विवरण 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से के. एम. करियप्पा ने यह पदभार ग्रहण किया था।
Indian Army Day: भारतीय सेना दिवस

भारतीय सेना का गठन कब हुआ था?

ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1776 में कोलकाता में भारतीय सेना का गठन किया। उस समय भारतीय सेना ईस्ट इंडिया कंपनी की एक टुकड़ी थी, जिसे बाद में ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम मिला और अंततः देश के सैनिकों को भारतीय सेना के रूप में मान्यता मिली।

भारतीय सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना में से एक माना जाता है। गोला-बारूद-हथियारों के मामले में भारतीय सेना दुनिया में चौथे स्थान पर आती है। भारतीय सेना के पास सटीक अग्नि और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो इसे शक्तिशाली बनाती हैं। भारतीय सेना पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसी सेना है जो केवल अपने दुश्मनों के हमले का जवाब देती है।

भारतीय सेना के नाम किसी भी देश पर पहले कभी हमला करने या कब्जा करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। भारतीय सेना एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80 प्रतिशत से अधिक शामिल है। भारतीय सेना दुनिया की एकमात्र सेना है, जिसके पास 12 लाख से अधिक सक्रिय सैनिक हैं।

भारतीय सेना दिवस कैसे मनाया जाता है?

15 जनवरी को नई दिल्ली और सभी सेना मुख्यालयों में सैन्य परेड, सैन्य प्रदर्शनियों और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर देश सेना की वीरता, उनके पराक्रम और बलिदान को याद करता है।

अन्य हिस्सों में सैन्य परेड और ताकत के अन्य शो आयोजित करके मनाया जाता है। इस दिन दिल्ली के परेड ग्राउंड में आर्मी डे परेड का आयोजन किया जाता है। सेना दिवस के सभी कार्यक्रमों में यह सबसे बड़ा आयोजन है।

परेड का नेतृत्व दिल्ली मुख्यालय के जनरल ऑफिसर कमांडिंग करते हैं। यह परेड भी गणतंत्र दिवस परेड का एक हिस्सा है। सेना दिवस पर सेना प्रमुख सैनिकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित और प्रोत्साहित करते हैं।

इसी के साथ देश भर में कई समारोह होते हैं। लेकिन आकर्षण का केंद्र दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में आयोजित होने वाली मुख्य सेना दिवस परेड बनी हुई है। इस दिन भारतीय सेना के वीरों को वीरता पुरस्कार और सेना पदक भी दिए जाते हैं। परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेता हर साल सेना दिवस परेड में हिस्सा लेते हैं। सेना दिवस परेड में 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड की तरह सैन्य उपकरण, टुकड़ियों और लड़ाकू प्रदर्शन परेड का हिस्सा होते हैं।

भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?

दरअसल फील्ड मार्शल केएम करियप्पा 15 जनवरी 1949 को स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे। यह भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। सेना दिवस, भारत में हर साल 15 जनवरी को लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के द्वारा मनाया जाता है। यह के एम करियप्पा को भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर के रूप में पदभार संभालने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय सेना के अंतिम ब्रिटिश शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से पदभार ग्रहण किया। जब करियप्पा सेना प्रमुख बने, तब भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे।

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा

देश की आजादी से पहले, सेना पर ब्रिटिश कमांडर का कब्जा था। वर्ष 15 August, 1947 में देश की आजादी के बाद भी भारतीय सेना का नेतृत्व ब्रिटिश मूल का था। 1949 में, स्वतंत्र भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर थे। उन्हें भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। वह स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे और उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया। बाद में करियप्पा फील्ड मार्शल भी बने।

1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में करियप्पा ने भारतीय सेना की कमान संभाली और पाकिस्तान को हराया। करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ थे, जिन्होंने 15 जनवरी 1949 को सर फ्रांसिस बुचर से पदभार ग्रहण किया था। हालांकि वे इस उपाधि को प्राप्त करने वाले दूसरे व्यक्ति थे, जिन्हें वर्ष 1986 में इस पद से सम्मानित किया गया था, इससे पहले सैम मानेकशॉ थे, जिन्हें 1973 में भारत के पहले फील्ड मार्शल बनने का सम्मान प्राप्त है।

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख और दूसरे सेना कमांडर-इन-चीफ थे। उन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। वह फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के साथ पांच सितारा रैंक रखने वाले भारत के केवल दो फील्ड मार्शलों में से एक हैं।

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को 14 जनवरी 1986 को फील्ड मार्शल की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उनका निधन 15 मई 1993 को बैंगलोर में हुआ था। करियप्पा 1953 में सेवानिवृत्त हुए और 1993 में 94 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

करियप्पा की उपलब्धियां

करियप्पा ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का नेतृत्व किया। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल का पद दिया गया। इसके अलावा, उन्हें दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को हराने के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर का सम्मान भी मिला।

भारतीय सेना दिवस 2022 थीम

वर्ष 2022 के लिए भारतीय सेना की थीम "इन स्ट्राइड विद द फ्यूचर" यानी "भविष्य के साथ प्रगति में" है। विषय आधुनिक समय में युद्ध में महत्वपूर्ण और विनाशकारी प्रौद्योगिकियों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका की मान्यता को दर्शाता है।

थल सेना प्रमुख इस समय कौन है?

जनरल मनोज पांडे ने 30 अप्रैल 2022 को जनरल मनोज मुकुंद नरवने से 29वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया. भारतीय सेना (Indian Army) प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (Chiefs of Staff Committee) के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया. ये पद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) के दुखद निधन से खाली हुए पद को भरने के लिए एक स्टॉप-गैप व्यवस्था के रूप में है.

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