World Telecommunication Day 2023: विश्व दूरसंचार दिवस क्यों मनाया जाता है?

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विश्व दूरसंचार दिवस हर साल '17 मई' को मनाया जाता है। (World Telecommunication Day/Telecom Day ) आधुनिक युग में फोन, मोबाइल और इंटरनेट लोगों की पहली जरूरत बन गए हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना करना बहुत कठिन हो गया है।

आज यह इंसान की निजी जिंदगी से लेकर पूरी प्रोफेशनल लाइफ में प्रवेश कर चुकी है। पहले जहां लोगों को किसी से संपर्क करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी, वहीं आज मोबाइल और इंटरनेट ने इसे बहुत आसान बना दिया है।

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World Telecommunication Day Kab Manaya Jata Hai?
Date विश्व दूरसंचार दिवस (World Telecommunication Day) हर साल '17 मई' को मनाया जाता है।
पहली बार 'विश्व दूरसंचार दिवस' मनाने की परंपरा 17 मई 1865 को शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई थी।
विवरण 5G नेटवर्क मोबाइल संचार की अगली पीढ़ी है, जिसकी गति और क्षमता हमारे वर्तमान 4G से 100 गुना तेज होगी।
World Telecommunication Day

कोई भी कुछ ही सेकंड में दोस्तों, परिवार और करीबी रिश्तेदारों से आसानी से जुड़ सकता है। यह दूरसंचार की क्रांति है, जिसके कारण भारत जैसे कुछ विकासशील देश भी दुनिया के कुछ देशों में गिने जाते हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से गति पकड़ रही है।

इस दिन को मनाने का खास मकसद लोगों को टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के प्रति जागरूक करना है. इस तकनीक से आज घर बैठे लोग अपनों से जुड़े हुए हैं, यह पहली बार 17 मई 1969 को मनाया गया था। 2005 में, इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा में सूचना दिवस के रूप में घोषित किया गया था।

World Telecommunication Day क्यों मनाया जाता है?

इंटरनेट वर्तमान में दूरसंचार का एक प्रमुख हिस्सा है। इसमें कोई शक नहीं कि जिन लोगों की इंटरनेट तक पहुंच है, उन्होंने अपने जीवन में एक बड़ा बदलाव देखा है। इंटरनेट ने उनके जीवन को बहुत आसान बना दिया है। इसके जरिए पलक झपकते ही हमें कुछ ही सेकंड में असंख्य जानकारी मिल जाती है।

इंटरनेट न केवल सूचना के मामले में, बल्कि सोशल नेटवर्किंग से लेकर स्टॉक एक्सचेंज, बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। जो भी जानकारी हमें चाहिए बस गूगल सर्च में टाइप कर या बोलकर इंटरनेट से जानकारी मालूम कर सकते हैं।

पैसा भेजने के लिए, बिजली बिल जमा करने के लिए, ट्रैन या बस टिकट के लिए ट्रांसपोर्ट खर्च कर कही जाने की जरूरत नहीं बल्कि इंटरनेट के माध्यम से घर-बैठे आसानी से कर सकते हैं.

विश्व दूरसंचार दिवस का इतिहास

'विश्व दूरसंचार दिवस' मनाने की परंपरा 17 मई 1865 को शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई थी। तब से यह पूरे विश्व में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही नवंबर 2006 में तुर्की में आयोजित पूर्ण अधिकारी सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि 'विश्व दूरसंचार', 'सूचना' और 'समाज दिवस' तीनों को एक साथ मनाया जाए।

विश्व दूरसंचार क्रांति

'दूरसंचार क्रांति' गरीब देश में एक ऐसी क्रांति है, जिसने न केवल देश की छवि बदली बल्कि देश के विकास के कारण विकसित हो रही अर्थव्यवस्था का एक चश्मदीद गवाह था। आज जिस आसानी से हम अपने मोबाइल फोन के जरिए कई ऐसे काम करते हैं, जिसके लिए पहले काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।

दूरसंचार क्रांति के कारण आज भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में गिना जाता है, जहां इस क्रांति ने आर्थिक समृद्धि में बहुत योगदान दिया है। आज हम दूरसंचार के मामले में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। 4जी और 5जी तकनीक पर सवार होकर भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

यह क्रांति न केवल अन्य क्षेत्रों में बदलाव ला रही है, बल्कि आज भारत के कई किसान हाईटेक हो रहे हैं। उन्हें इंटरनेट से फसलों की जानकारी मिल रही है। रेलवे आरक्षण की जानकारी एसएमएस के जरिए मिल रही है। भारत इस क्रांति को अगले पड़ाव पर ले जाने की तैयारी कर रहा है।

भारत में टेलीफोन परिचय

1880 में दो टेलीफोन कंपनियों 'द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड' और 'एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड' ने भारत में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि टेलीफोन स्थापित करने के लिए सरकार का एकाधिकार था और सरकार स्वयं ही कार्य करेगी।

1881 में, सरकार ने अपने पहले के फैसले के खिलाफ जाकर इंग्लैंड की ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड को कोलकाता, मुंबई, मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने का लाइसेंस दिया। इसने 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना की।

28 जनवरी, 1882 भारत के टेलीफोन इतिहास में 'रेड लेटर डे' है। इस दिन भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल की परिषद के सदस्य मेजर ई. बारिंग ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने की घोषणा की। सेंट्रल टेलीफोन एक्सचेंज में 93 ग्राहक थे। इसी तरह के एक टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन 1882 में मुंबई में किया गया था।

इंटरनेट क्राइम चुनौती

आज इंटरनेट के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसकी विश्वसनीयता बनाए रखना है। जिस प्रकार इंटरनेट ने हमारे जीवन को सरल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उसी तरह इसने कई ऐसी समस्याएं भी पैदा की हैं, जिससे हमारा समाज कहीं न कहीं भ्रष्ट हो रहा है।

देखा जाए तो आज इंटरनेट पर काम कम और इसका दुरूपयोग ज्यादा हो रहा है। इंटरनेट क्राइम, फिशिंग, पोर्नोग्राफी, ऑनलाइन फ्रॉड, जैसी समस्या इंटरनेट के हर हिस्से तक पहुंच चुकी है। इसके सामने एक और बड़ी चुनौती साइबर अपराध है, जिसकी आड़ में लोग अफवाह फैलाकर देश में साइबर युद्ध जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं।

इन सभी नकारात्मक तथ्यों के बावजूद, आज दूरसंचार प्रौद्योगिकी भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देशों में समृद्धि के लिए मदद कर रही है। इस क्षेत्र में लगातार हो रहे विकास से प्रभावित होकर कई युवा एक अच्छे करियर का सपना लेकर इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं।

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