Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti | Desh Prem पराक्रम दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

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Desh Prem Diwas 2023: एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की स्थिति को सुधारने के लिए जितना हो सके उतना योगदान दे सके। एक सच्चा देशभक्त न केवल अपने देश के निर्माण की दिशा में काम करता है बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।

भारत एक ऐसा देश है जिसने हमेशा अपने स्वतंत्रता सेनानियों, नेताओं और शहीदों के योगदान को मान्यता दी है। उनके जन्मदिन को जयंती के रूप में मनाया जाता है, उनकी मृत्यु को पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।

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Desh Prem Diwas Kab Manaya Jata Hai?
Date भारत में हर साल 23 जनवरी को Desh Prem Diwas/Netaji Jayanti/पराक्रम दिवस मनाया जाता है।
विवरण नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन या नेताजी की जयंती 23 जनवरी को देशभक्ति के लिए देश प्रेम दिवस के रूप में मनाई जाती है।
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti | Desh Prem / पराक्रम दिवस

सुभाष चंद्र बोस जी को नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने भारत को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाई थी और वे अपनी मजबूत विचारधाराओं के लिए जाने जाते हैं।

विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का हिस्सा होने के अलावा, बोस जी ने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में अन्य सेनानियों का भी समर्थन किया, बोस जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता को भी बढ़ावा दिया।

Desh Prem kya hai

देश के प्रति किसी भी व्यक्ति का अमूल्य प्रेम और समर्पण देशभक्ति की भावना को परिभाषित करता है। देशभक्त अपने देश के लिए निस्वार्थ प्रेम और गर्व के लिए जाने जाते हैं।

इसी तरह बच्चों में बचपन से ही देशभक्ति की भावना पैदा करनी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों में अपने देश के लिए प्यार और सम्मान की भावना पैदा की जानी चाहिए।

कई संस्थाएं 15 अगस्त और 26 जनवरी को समारोह और कार्यक्रम आयोजित करती हैं, जिसमें देशभक्ति के गीत गाए जाते हैं।

वह देश निश्चित रूप से बेहतर बनता है, जहां युवा अपने देश से प्यार करते हैं और उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में काम करते हैं।

Desh Prem Diwas Kyon Manaya Jata Hai?

सुभाष चंद्र बोस की जयंती का महत्व

बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने जनता के बीच राष्ट्रीय एकता, बलिदान और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना का प्रसार किया।

आजादी के संघर्ष के दौरान, नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन किया और भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया।

उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा अपनाए गए अहिंसक दृष्टिकोण के विरोध में विरोध करने के एक क्रांतिकारी और हिंसक तरीके की वकालत की।

उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मतभेदों के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से नाता तोड़ लिया और 3 मई 1939 को अपनी खुद की पार्टी, "ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक" की स्थापना की।

पार्टी ने सरकार को इसे "देश प्रेम दिवस" के रूप में मनाने की घोषणा की। और यह पूरे देश में जोश के साथ मनाया गया।

सुभाष चंद्र बोस की जीवनी

23 जनवरी 1897 को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था। उनका जन्म कटक, जानकीनाथ और प्रभावतीदेवी के प्रसिद्ध वकील के में घर हुआ था।

उनके पिता ने अंग्रेजों के दमनचक्र के विरोध में 'राय बहादुर' की उपाधि लौटा दी। इससे सुभाष के मन में अंग्रेजों के प्रति कटुता आ गई थी। आईसीएस परीक्षा पास करने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाया।

दिसंबर 1927 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के बाद 1938 में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया, लेकिन धीरे-धीरे सुभाष का कांग्रेस से मोहभंग होने लगा। और सुभाष ने 16 मार्च 1939 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई राह देते हुए सुभाष ने पूरी निष्ठा के साथ युवाओं को संगठित करने का प्रयास शुरू किया। इसकी शुरुआत 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर में 'भारतीय स्वतंत्रता सम्मेलन' से हुई थी।

5 जुलाई 1943 को 'आजाद हिंद फौज' का विधिवत गठन किया गया था। 21 अक्टूबर 1943 को एशिया के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों का एक सम्मेलन आयोजित करके और उसमें भारत की एक अस्थायी स्वतंत्र सरकार की स्थापना करके, नेताजी ने स्वतंत्रता प्राप्त करने की संकल्प किया।

12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतींद्र दास के स्मारक दिवस पर नेताजी ने एक बहुत ही मार्मिक भाषण दिया था- 'अब हमारी आजादी निश्चित है, लेकिन आजादी बलिदान मांगती है।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'

यह वह वाक्य था जिसने देश के युवाओं में जान फूंक दिए, जो न केवल भारत में बल्कि विश्व के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित है। 16 अगस्त 1945 को, टोक्यो जाते समय, नेताजी का विमान ताइहोकू हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और माना जाता है कि उसमें मृत्यु हो गई थी।

Desh Prem Diwas Kaise Manaya Jata Hai?

शहादत, बलिदान और देशभक्ति की यादें ताजा करने के लिए इस दिन पूरे भारत में कई समारोह होते हैं।

सभी जिला प्रशासन और स्थानीय निकाय भी नेताजी जयंती मनाते हैं। कई गैर सरकारी संगठन रक्तदान शिविर आयोजित करते हैं।

स्कूल इस अवसर को छात्रों में समर्पण, ईमानदारी और लड़ाई की भावना पैदा करने के लिए मनाते हैं।

स्कूल प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, वाद-विवाद, बहिष्कार, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह के रूप में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करते हैं।

नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है।

जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से संबंधित दस्तावेज अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये?

16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेता जी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये विशेष पीठ के गठन का आदेश दिया।

आज़ाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इतिहास में पहली बार वर्ष 2018 में भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराया। 23 जनवरी 2021 को नेताजी की 125वीं जयन्ती है जिसे भारत सरकार ने पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र सीके बोस

केंद्र सरकार के फैसले पर बीजेपी नेता व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र सीके बोस ने कहा कि ''नेताजी भारत के मुक्तिदाता थे.'' साथ ही उन्होंने कहा कि घोषणा का हम स्वागत करते हैं.''

उन्होंने कहा कि ''23 जनवरी को लोग देश प्रेम दिवस के रूप में मनाते रहे हैं. इससे ज्यादा अच्छा होता कि सरकार इस दिन को देशप्रेम दिवस के रूप में घोषित करती.'' उन्होंने कहा कि ''लेकिन, हम घोषणा से खुश हैं.

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