Why is Grand Parents Day celebrated? ग्रैंड पेरेंट्स डे क्यों मनाया जाता है? दादा-दादी या नाना-नानी रिश्तों के बगीचे के माली होते हैं, जो हर दिन अपने परिवार को सहेजते हैं। बच्चों का अपने दादा-दादी से एक अलग लगाव होता है। जब भी कहानियों को सुनने का मन करता है तो दादी की याद आ जाती है और बच्चे पापा के गुस्से से बचने के लिए दादाजी के पीछे छिप जाते हैं। सही मायने में बुजुर्ग ही घर की शान होते हैं।
दादा-दादी या नाना-नानी की चुटकुले कहानियाँ बच्चों के लिए भले ही मनोरंजन मात्र हों, लेकिन मूल्यों और सीख की ये कहानियाँ बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में नींव का काम करती हैं।
यदि दादी-नानी कहानी सुनाने के लिए उपलब्ध नहीं हैं, तो बच्चे को टीवी के बजाय चित्र पुस्तकों से दिखाना अधिक फलदायी होगा।
Grand Parents Day Kab Manaya Jata Hai? | |
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Date | हर साल 12 September 2022 को |
विवरण | परिवार में दादी-नानी का होना भले ही अब आम बात न हो, लेकिन उनकी कहानियां कभी पुरानी नहीं हो सकतीं। |
जब नानी और दादी एक साथ नहीं रहते हैं और माता-पिता के पास कहानियां सुनाने का समय नहीं है।
यह समस्या टीवी के माध्यम से हल नहीं होती है, टीवी हमें कुछ भी सोचने का मौका नहीं देता है, जबकि कहानी के शब्द कान से टकराते ही कल्पना की उड़ान भरने लगते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कहानी शुरू होती है कि बरगद का पेड़ था, तो बच्चों के मन में पेड़ के आकार और उसके स्थान की कल्पना शुरू हो जाती है। यह कल्पना उसकी सोच का विस्तार करती है। कहानी सुनने में सभी इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं।
ग्रैंड पेरेंट्स डे क्यों मनाया जाता है?
दादा-दादी बच्चों का पुस्तकालय हैं, वह एक अच्छा शिक्षक है और कभी-कभी एक ऐसा व्यक्ति जो उसका समर्थन करता है। वे हमारे घरों में सबसे अनुभवी हैं।
आज हमारे दादा-दादी को किसी चीज की जरूरत नहीं है, उन्हें बस अपने बच्चों के लिए कुछ समय चाहिए। वे भी हमारी पीढ़ी के साथ चलने की कोशिश करना चाहते हैं।
उन्हें सम्मान देने और अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए ग्रैंड पेरेंट्स डे पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
दादा-दादी के पास हर दुविधा का हल होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास कम से कम 100 या 90 साल का जीवन का अनुभव है। साथ ही, हमारे दादा-दादी अपने जीवन में सभी प्रकार के लोगों से मिले हैं और इसलिए वे एक ही बार में व्यक्ति का चेहरा देखकर उसके भाग्य को समझ सकते हैं।
शायद इसीलिए यह भी कहा जाता है कि बुजुर्गों का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज होता है। और वैसे भी, अनुभव के साथ उनके बाल सफेद हैं। कहा जाता है कि बड़ों का घर में रहना जरूरी है क्योंकि उनके पास जो ज्ञान का पिटारा है वह दुनिया में किसी के पास नहीं है।
दादा-दादी दिवस हमारे जीवन में दादा-दादी के योगदान को सम्मानित करने और पहचानने का कार्य करता है। दादा-दादी एक समाज और एक परिवार का अपने अतीत से संबंध होते हैं क्योंकि वे महत्वपूर्ण मूल्यों, विश्वासों और आदर्शों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाते हैं।
बच्चों में संस्कार पैदा करने वाले दादा-दादी और नाना-नानी ही हर घर की नींव होते हैं। बच्चों को संस्कारी बनाने में घर के बड़े-बुजुर्गों की बड़ी भूमिका होती है। बचपन एक ऐसा समय होता है, जिसमें बच्चों में जिस तरह के संस्कार पैदा होते हैं, वही उनका व्यक्तित्व बन जाता है।
21वीं सदी शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव की सदी है। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारा अतीत क्या रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण बात यह है कि आज के युग में हम शिक्षा के क्षेत्र में कहां जा रहे हैं। आज हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो बच्चों के सर्वांगीण विकास को विकसित करे और उनमें नेतृत्व क्षमता पैदा करे। दादा-दादी दिवस: दादा-दादी अनुभवों का एक पूरा पुस्तकालय हैं
किसी भी बच्चे के जीवन में उसके दादा-दादी यानि नाना-नानी की मौजूदगी उसके लिए सुरक्षा कवच का काम करती है। उनकी उपस्थिति बच्चे के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उनके आसपास रहना भी मजेदार है। वे न केवल बच्चे को अपने अनुभवों से सही और गलत की पहचान करने में मदद करते हैं बल्कि उनके जीवन को अपने प्यार से भर देते हैं।
वे अनुभवों की खान हैं, इसलिए वे जीवन जीने के तरीके बताते हैं जो कोई और नहीं बता सकता।
उसकी देखभाल करना, उसकी इच्छा पूरी करना बहुत अच्छा लगता है। जैसे ही दादा-दादी त्यार होते है, वह समझ जाता है कि हम कहीं बाहर जाने वाले हैं और तुरंत साथ जाने के लिए उठ जाता हैं।