Sawan Somvar कब शुरू हो रहा है? सावन महीना सोमवार हिंदी में विस्तार से बताया गया है

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हिन्दू धर्म में Sawan Somvar का बहुत महत्व है। श्रावण मास के प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन का महीना भगवान शंकर का महीना माना जाता है।

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Sawan Somvar की तिथियां

10 जुलाई 2023 से सावन की शुरुआत हो रही है। सावन के महीने में पड़ने वाली सोमवार की तिथियां
पहला सावन सोमवार 10 जुलाई 2023
दूसरा सावन सोमवार 17 जुलाई 2023
तीसरा सावन सोमवार 24 जुलाई 2023
चौथा सावन सोमवार 31 जुलाई 2023
toc Sawan Somvar Date कब शुरू हो रहा है सावन का महीना सोमवार के व्रत की सभी तिथियां

Sawan Somvar का महत्व

सावन के महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में, भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी की यात्रा करते हैं। इस महीने में सोमवार का व्रत करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। सुख की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन सुखद रहता है।

इस माह में सोमवार के व्रत का फल बहुत ही शीघ्र मिलता है। जिन लोगों के विवाह में परेशानी आ रही है उन्हें सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

सावन में ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

सावन के महीने में भगवान महादेव की विशेष पूजा की जाती है। महादेव को जल, दूध, दही, घी, मिश्री, शहद, गंगाजल आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुश, कमल, फूल कनेर, सरसों के फूलों से शिव प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही महादेव को भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल का भोग लगाया जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और ताजा बेल के पत्ते लेकर आएं। पांच या सात साबुत बेल के पत्तों को साफ पानी से धो लें और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखें।

इसके बाद तांबे के बर्तन में पानी या गंगाजल भरकर उसमें थोडा सा साबुत और साफ चावल डाल दें। और अंत में बेलपत्र और पुष्पदी को लोटे के ऊपर रखें।

पास के शिव मंदिर में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

रुद्राभिषेक के बाद मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने के बाद घर में भी पूजा करें।

पूजा के बाद व्रत कथा सुनें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।

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